
वास्तु पुरुष मण्डल (ब्रम्हा जी का मनस पुत्र ) गुरुसखा हमेशा कहते है वास्तु पुरुष मण्डल आप के ही अवचेतन मन का विस्तृत स्वरूप है । वास्तु :- वास करने लायक स्थान का विस्तार जिसके कुछ गुण धर्म है कुछ सुखद जो देव है तो कुछ दुःखद जिन्हें असुर कहा गया ।
मुझे अभी तक जितना समझ आया तो एक विचार आया (शिखि)लिखकर दोस्तो में सांझा (सविता)करू । इसमे से अनुपयोगी को हटा कर(भृंगराज) उपयोगी ग्रहण(सुग्रीव) कर सके ओर ये सीखने का कारवाँ (रुद्र) यूँ ही चलता रहे ।
ब्रह्मा :- (creator)उत्पत्ति कारक , जीवनदायनी शक्ति , रचनाकार ।
भूधर :- (manifestos)अस्तित्त्व में लाने वाली शक्ति
अर्यमा :- (connector)अस्त्तित्व में आने के बाद उसका विकास का दायित्व ओर अन्य पदार्थो से जोड़ने वाली शक्ति अर्यमा है ।
विवस्वान :- (illuminator)सत्ता का अस्तित्त्व में आने (भूधर ) और विकास प्रक्रिया (अर्यमा) के बाद जो परिवर्तन होता है वो इसी शक्ति का कार्य है ।
मित्र :-(friends) प्रेरणादायक शक्ति जो किसी सत्ता को घटित कराने में सहायक है ।
आप:- रोग प्रतिरोधक शक्ति ( इम्यून सिस्टम) । रोग ओर भय का नाश करने वाली शक्ति !
आपवत्स:- वाहक है जो ओषधियों तत्वों को रोग तक लेकर जाता हैं ।
सविता:- प्रेरित करके किसी भी कार्य को शुरू कराने वाली शक्ति ।
सावित्र:- पुष्टिकारक देव जो जीवन में आगे बढ़ने की इच्छा को बल प्रदान करते है।
इन्द्र:- जीवन और धन के रक्षक ।
जय:- (skill)ये वो हथियार है जो जीवन में किसी भी क्षेत्र में विजय दिलाकर दक्षता प्रदान करता है ।
रुद्र:- (movement)जीवन की प्रत्येक गतिविधियों को प्रवाहमान बनाये रखने की शक्ति रुद्र देव है।
राजयक्ष्मा:- रुद्रदेव के प्रवाह को एक सीमा में बाँध कर रखने वाली शक्ति ।
अदिति:- भू देवी आत्मसाक्षातकार कराने वाली शक्ति ।
दिति:- मन की स्पष्टता के साथ निर्णय लेना तथा स्वतन्त्र विचार और विशाल दृष्टिकोण प्रदान करने वाली शक्ति ।
शिखि:- आदियोगी (शिव)का तीसरा नेत्र । विचारों में ज्ञान प्रकाश जो ओरो को रोशन कर दे !
पर्जन्य:- (Rainmaker)धरती माँ(अदिति)के अन्दर गुणवत्ता बढ़ाने वाली शक्ति ।
भृश:- (Tapas)मंथन क्रिया के बाद नई वस्तु (महत) का अस्तित्व में आना भृश शक्ति से है ।
अंतरिक्ष:- (inner space)
मानसिक विकास प्रक्रिया का घटित होने वाला क्षेत्र आकाश है जहाँ भृश की शक्ति भी कार्य करती है ।
अनिल :- (uplift) आकाश में जो प्रक्रिया घटित हो रही है उसमे लगने वाला बल अनिल की शक्ति है । ऊपर उठने का भाव ।
पूषा:- ( navigator) जीवन की पोषण शक्ति । बल को बढ़ाने वाली शक्ति ।
भृंगराज:- जीवन में अनावश्यक चीजों को हटाकर व्यक्ति को प्रतिभाशाली बनाती है ।
मृग :-जिज्ञासा उत्पन्न करके किसी विषय को रगडदेने (अभ्यास ,अनुसन्धान) के बाद प्राप्त दक्षता मृग शक्ति से आती है।
पितृ:- धन पुत्र वधु वंश वृद्धि पारिवारिक समस्त सुख का कारक ।
दौवारिक:- पूर्वजों के ज्ञान को सँजोने की शक्ति धन औऱ विद्या के रक्षक ।
शोष:- (dryer)सोखने की शक्ति । जल बहाव (रोदन) की जो प्रक्रिया रुद्र शुरू करते है उसे रुद्र-सहायक असुर शोष ही पूरा करते है ।
पापयक्ष्मा:- जीवन में जो बुरी आदते (शराब या ड्रग्स )लत बनने लगती है पापयक्ष्मा ऊर्जा क्षेत्र असन्तुलित होने के कारण होता है ।
रोग:- व्यक्ति की कमजोरी ओर मिलने वाली मदद का निर्णय ये शक्ति करती है।
नाग :- कामदेव का अस्त्र काम वृतियों को संचालित करने वाली शक्ति । किसी व्यक्ति की कमजोरी(रोग) वरुण के नाग पाश अस्त्र जो कभी कभी एक शस्त्र के रूप में प्रयोग किया जाता रहा है।
जयन्त:- मानसिक जीत का भाव जो व्यक्ति को सफल बनाता है ।
महेन्द्र:- इन्द्रयों के अधिपति । एक कुशल प्रशासक जो एक संगठन से कार्य कराता है , मैन कन्ट्रोलर की ऊर्जा ।
सूर्य :- (जगत आत्मा )किसी भी व्यवस्था की आत्मा
“तद दृष्टा स्वरूपे अवस्थानम्”
सत्य :- समाज में सत्यता और प्रतिष्ठा । मान सम्मान
वितथ:- व्यक्ति का दिखावा और बनावटीपन इसी शक्ति की देन है ।
गृहक्षत:- मन का कन्ट्रोलर , मन के दायरे का नियंत्रित करने वाली शक्ति ।
यम :- रूल फ़ॉलो कराने वाली शक्ति सेल्फ कन्ट्रोल मॉरल ड्यूटी का अभिज्ञान कराने वाली ऊर्जा यम है ।
गन्धर्व:- शरीर के अंदर अमृत तत्वों को संरक्षित करने वाली शक्ति गन्धर्व है ।
सुग्रीव:- धन और विद्या ग्रहण करने की शक्ति । बाल्यकाल से ही ग्रहण करने की प्रक्रिया शुरू हो जाती है किसी भी विषय को आत्मसात करने में ये शक्ति ही मदद करती है।
पुष्पदन्त:- वरदायिनी शक्ति कुबेर का वाहन जो उन्नति और इच्छाओं की पूर्ति करता है ।
वरुण :- ऑब्जर्वर (1000 नेत्रो से युक्त)।पूरे विश्व का नियंत्रक । सभी देवी देवताओ की मूर्ति की स्थापना इसी ऊर्जा क्षेत्र में कराकर इच्छाओ की पूर्ति की जाती है ।
असुर:- वरुण के सहायक मायावी असुर है ।जो मायावी शक्ति को उत्पन करते है ।
मुख्य :- वरुण का मैनेजर संसार को चलाये रखने के लिये वरुण की निजी व्यवस्था की देखरेख इसी ऊर्जा के जिम्मे है ।
भल्लाट:- भर भर के देने वाली ऊर्जा भल्लाट की शक्ति ही हमारे प्रयासों ओर उन प्रयासों को सार्थक कर मैंनिफैस्टशन को विशाल स्वरूप प्रदान करती है।
सोम:- जादुई पेय पदार्थ । धन का आवाहन करने वाली शक्ति ।
भुजंग :- स्वास्थ्य ओर धन प्रवाह के कारक । औषिधियो और पाताललोक की निधियों के रक्षक।
संकलन…
शशिकांत शांताराम वांद्रे
वास्तू सल्लागार आणि ज्योतिष (के पी)